Uniform Civil Code: उत्तराखंड में जल्द ही समान नागरिक कानून लागू होने जा रहा है। धामी सरकार ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। आज, विशेषज्ञों की टीम ने अपना प्रस्ताव सरकार को सौंप दिया है। अब सबको इस बात को लेकर सबसे ज्यादा जिज्ञासा है कि यूसीसी लागू हुआ तो क्या बदल जाएगा।
जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में ड्राफ्ट कमेटी ने करीब दो वर्षों तक सभी धर्मों, जातिओं और समुदायों के सुझावों, सवा दो लाख लोगों से बातचीत, संवाद और राजनीतिक दलों की राय लेने के बाद अपना मसौदा सरकार को सौंप दिया है। अब पहले कैबिनेट इसे पास करेगी। इसके बाद सदन में विधेयक लाया जाएगा। जिसके बाद पास कर राज्यपाल को मुहर के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद यूसीसी का कानून लागू हो जाएगा।
जिस यूसीसी को बीजेपी उत्तराखंड में लागू कर रही है, वह क्या है?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि अगले हफ्ते उनकी सरकार विधानसभा में ‘समान नागरिक संहिता’ का विधेयक लाएगी और उसे पारित करवाकर लागू कर देगी। इस उद्देश्य से पांच फरवरी को विधानसभा का सत्र आहूत किया गया है।
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धामी ने कहा कि विशेष समिति, जो संहिता का मसौदा बनाने के लिए बनाई गई थी, ने अपना काम पूरा कर लिया है। दो फरवरी को समिति प्रदेश सरकार को अपना मसौदा सौंप देगी। रिपोर्ट को फिर विधेयक बनाकर विधानसभा से पारित किया जाएगा।
क्या है समान नागरिक संहिता?
यूं तो साल-दर-साल बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्रों में अलग-अलग वादों और मुद्दों का जिक्र रहा है, लेकिन तीन ऐसे मुद्दे हैं जो दशकों से स्थायी तौर पर पार्टी के चुनावी घोषणापत्रों में ही नहीं बल्कि भाषणों, नारों और पार्टी की विचारधारा को समझाने वाले हर संचार माध्यम का हिस्सा रहे हैं.
ये मुद्दे हैं: राम मंदिर का निर्माण; जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाना; और समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करना। बीजेपी ने 1989 में इन तीनों को अपने घोषणापत्र में पहली बार शामिल किया था।
मूल रूप से, समान नागरिक संहिता का मतलब है कि सभी को एक ही कानून का पालन करना होगा और अलग-अलग समुदायों की मानसिकताओं के अनुसार बनाए गए पर्सनल या पारिवारिक कानून को हटा दिया जाएगा। ये पर्सनल लॉ विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे जटिल विषयों पर बनाए गए थे, ताकि समुदायों को अपनी धार्मिक और धार्मिक विश्वासों के आधार पर इन क्षेत्रों में विवादों को हल करने का अधिकार रहे।
विधि आयोग को खारिज कर दिया गया था
सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार कर चुकी है। समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है। रिपोर्ट विधानसभा में पेश किए जाने के बाद इसकी अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। देश के किसी भी राज्य में अभी यूसीसी लागू नहीं है। इस प्रकार उत्तराखंड सबसे पहले यूसीसी को लागू कर नया इतिहास कायम करेगा। ढाई लाख सुझावों के आधार पर ड्राफ्ट तैयार है। विशेषज्ञ समिति ने समान नागरिक संहिताका ड्राफ्ट तैयार करने के लिए प्रदेश के सभी 13 जिलों के नागरिकों से संवाद किया। सीएम धामी ने लिया था फैसला
यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए 27 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित कर दी गई यह है पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति में दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दे
क्या है समान नागरिक संहिता
अमेरिकी नागरिक संहिता (यूसीसी) में देश में रह रहे सभी धर्म और समुदायों के लिए समान कानून है। आज हर जाति और धर्म का अलग कानून है। इसके हिसाब से ही शादी, तलाक जैसे व्यक्तिगत मामलों में निर्णय होते हैं। यूसीसी लागू होने के बाद हर धर्म और जाति के नागरिकों के लिए विवाह पंजीकरण, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे का समान कानून लागू होगा।
Uniform Civil Code: इनके रीतिरिवाज सबसे अलग है
झांसारी इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा जनजातीय राज्य है जो मुख्य रूप से बाबर जिले और देहरादून के चकराता कालसी धूनी लाखमंडल क्षेत्र जौनपुर टेहरी और उत्तरकाशी के बर्ग नेगन जिले में स्थित है। भोडिया जाति राज्य की सबसे पुरानी जनजाति मानी जाती है।
भोटियाओं की कई उपजातियाँ हैं जैसे मलाचा तोर्चा जोहारी शोका दरमियान चौंदाशी व्यासी जाड जेथरा और चपरा (बकरिया)। भोटिया लोग हिमालय की तलहटी में रहते हैं। यह जाति पिथौरागढ चमोली उत्तरकाशी में निवास करती है। दूसरी ओर बोक्सा लोग राज्य के तराई बाबर क्षेत्र में उधम सिंह नगर के बाजपुर गदरपुर और काशीपुर पौडी में और देहरादून में विकास नगर डोईवाला और सहसपुर विकास क्षेत्र में 173 गांवों के हैं। में रहते है।